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   छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहारों में से गिने जाने वाले  पोला त्यौहार  है, छत्तीसगढ़ में पोला त्यौहार हरेली के बाद आने वाली त्यौहार है जो कि यह सेकंड नंबर की त्यौहार है तो चलिए जानते हैं पोला त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है।
pola festival छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहारों में से एक है, पोला त्यौहार को भादो माह की अमावस्या को मनाई जाती है, पोला त्यौहार (pola festival) के दिन लोग बैलों की पूजा करते हैं, क्योंकि छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान प्रदेश है जोकि कृषि कार्य में बैल का महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए छत्तीसगढ़ के लोग बैल को इस दिन नहलाते हैं और फुल हार से सजाकर उनकी पूजा की जाती है।
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पोला त्यौहार छत्तीसगढ़ में दो प्रकार से मनाते हैं:-
1. कुछ लोग बैलों की पूजा अर्चना करते हैं।
2. बच्चे लोग मिट्टी के नंदी बैल खिलौने की पूजा करते हैं।

  • पोला त्यौहार (pola festival) के दिन सभी किसान खेतों में काम करने नहीं जाते क्योंकि यह पोला त्यौहार किसानों का प्रमुख त्यौहार है।
  • पोला त्यौहार के दिन ग्राम की झांकर पुजारी व्रत धारण करते हैं इस दिन गांव के झांकर लोग उगने से पहले ही घर से बाहर कहीं जंगल या झाड़ी की ओर जा कर अपनी व्रत रखते हैं।
  • पोला त्यौहार (pola festival) के दूसरे दिन गांव की झांकर पुजारी लोग गांव के प्रमुख देवी देवताओं की पूजा करते हैं।
  • पोला त्यौहार के दिन जो लोग हरेली त्यौहार को घोड़ी बनाकर चढ़ते हैं उस गाड़ी को पोला त्यौहार के दिन ही बॉबी (भीमोरा) में लेकर तोड़ दिया जाता है।
  • पोला त्यौहार की दूसरे दिन सुबह धान की पौधा जिसमें वाली आ गई होती है उस पौधे को लेकर ग्राम की ठाकुर देव शीतला माता एवं सभी प्रमुख देवी देवताओं में अर्पण किया जाता है।
  • गांव की जाकर प्रमुख द्वारा ही पोला त्यौहार (pola festival) की दूसरे दिन सुबह  धान की बाली सहित पौधे को गांव के प्रत्येक घर के दरवाजे पर बांधते हैं।
  • इस दिन गांव के प्रत्येक घर सभी लोग झाकर-पुजारी की गुलाल-चावल से स्वागत करते हैं और धान की बाली बांधने की एवज में उन्हें चावल एवं पैसे भेंट करते हैं।
  • पोला के दूसरे दिन भी गांव के सभी लोग गांव के प्रमुख देवी देवताओं में धान की बाली चढ़ने तक कोई भी खेत में काम नहीं करते हैं धान की बाली देवी देवताओं में चढ़ने पश्चात ही सभी लोग काम करने जाते हैं।