प्राकृतिक लाल और सफेद चूना निकाल रहे आदिवासी

मैनपुर । आदिवासी इलाकों में मौजूद प्राकृतिक लाल और सफेद चुना के नाम से प्रसिद्ध मिट्टी (छुही) इलाकों के लोगों के लिए डिस्टेंपर से कम नहीं है। इसी मिट्टी से लोग अपने घरों को रंग कर चकाचक बनाते हैं। लोगों का कहना है कि अक्सर आदिवासियों के द्वारा देवी- देवताओं की रूम एवं घर को शुद्धता के साथ सफेद छुही व लाल छुट्टी की लिपाई करते हैं। उसके बाद गोबर लेप लगाते हैं। 

लोग घरों में अक्सर सफेदएवं लाल मिट्टी की उपयोग करते हैं

खासकर भुजिया समाज के द्वारा लाल रंग की मिट्टी से अपनी लालगुड़ी बनाते हैं और उस लालगुड़ी में किसी को भी घुसने नहीं देते हैं। यहां तक कि शादी होकर गई हुई बेटी बहन को भी उस लालगुड़ी में घुसने नहीं देते यह परंपरा आदि काल से आ रहा है। भुजिया समाज की मानना है कि उस लालगुडी में कोई भी जाकर बैठ जाए तो उसे नया बनाकर देना रहता है। इसलिए लोग लालगुडी से दूरी बनाए रखते हैं।



इसी तरह बेगर पाला ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम पेंड्रा जिला गरियाबंद में प्राकृतिक छुई खदान है जहां से आदिवासियों ने उसी मिट्टी को ला करके अपने घर में उपयोग करते हैं। बिंद्रानवागढ़ क्षेत्र के साथ- साथ महासमुंद, गरियाबंद, राजिम, छुरा इत्यादि क्षेत्र के लोग इस मिट्टी की उपयोगिता को समझते हुए घर की रंग रोगन करने के लिए आते हैं। महिला स्व सहायता समूह को चूना पत्थर पीसकर इस लाल एवं सफेद मिट्टी की चुना निर्माण कर बाजार में बेचते हैं तो काफी मुनाफा कमा सकते हैं सैकड़ों महिलाओं को रोजगार भी मिल सकती है।