रंग बिरंगे रंगों का त्योहार होली कब है | 2022 mein holi kab hai

2022 Holi date

होली त्योहार भारतवर्ष में ही नहीं परंतु पूरे विश्व में मनाए जाने वाला होली त्यौहार Holi tyohar रंग बिरंगी रंगों और गुलाल से भरा होली holi पर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह Holi होली त्यौहार वर्ष का आखरी त्योहार माना जाता है। तथा होली त्यौहार मनाएं जाने के बाद नया साल प्रारंभ होता है।

क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार यह महीना साल का आखिरी महीना होता है हिंदू पंचांग और अंग्रेजी पंचांग में थोड़ा अंतर होता है अंग्रेजी पंचांग के अनुसार जनवरी माह से नया साल का आरंभ होता है तथा दिसंबर वर्ष का सबसे आखरी में होता है परंतु हिंदू पंचांग में वर्ष का आरंभ चैत्र माह से आरंभ होकर फाल्गुन माह तक 1 वर्ष माना जाता है।

Holi kab manaya jata hai होली कब मनाया जाता है ?

रंग बिरंगी रंग गुलाल का यह होली पर्व लोगों के मन में उत्साह और उमंग भर देने वाला यह होली पर्व सबके मन में यह आस रहती है कि होली कब है 2022 mein holi kab hai, और होली कब आएगी क्योंकि होली का त्यौहार एक पर्व ही नहीं बल्कि लोगों की जीवन में उत्साह उमंग की रंग भरने वाली त्यौहार है मनुष्य जीवन की नीरसता में रस भरने वाली यह पर्व अंग्रेजी माह के अनुसार प्रतिवर्ष मार्च के महीने में march mein holi मनाया जाता है। तथा हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्यौहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

2022 mein holi kab hai होली कब है?

इस वर्ष 2022 mein Holi 18 मार्च march दिन शुक्रवार को है।

छोटी होली Choti Holi क्या है और छोटी होली कब है?

छोटी होली अर्थात Holika Dahan होलिका दहन 17 मार्च दिन गुरुवार को है।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त कितने बजे हैं 2022 में।

2022 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च दिन गुरुवार को है होलिका दहन 2022 को शुभ मुहूर्त रात्रि 9:20 बजकर 55 सेकंड से शुरू होकर 10:31बजकर 9 सेकंड तक होलिका दहन का समय रहेगा।‌

होलिका दहन की दिशा चक्र 

होलिका दहन पर कई मान्यताएं है। होलिका दहन करते वक्त अगर आग की लो पूर्व दिशा की ओर उठे तो रोजगार और स्वास्थ्य के लिए शुभ माना जाता है तथा होलिका दहन पश्चिम दिशा में उठे तो आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है और उत्तर दिशा की ओर आग की लो जाए तो सुख शांति बनी रहती है और वहीं दक्षिण की ओर आग की लपटे जाए तो उसे शुभ नहीं माना जाता है।

होली त्योहार के साथ-साथ छोटी होली choti Holi शब्द भी जुड़ा हुआ है चलिए जानते हैं छोटी होली के बारे में छोटी होली choti Holi  क्या है और इसे किस रूप में मनाया जाता है-

होली त्यौहार holi tyohar के पूर्व छोटी होली मनाया जाता है जिसे होलिका दहन Holika Dahan कहते हैं और इस दिन होलिका दहन Holika Dahan किया जाता है। होलीका शब्द से ही होली पर्व की उत्पत्ति हुई है अर्थात अगर होलिका दहन ना होती तो होली त्यौहार नहीं मनाया जाता। होलिका एक नारी है।

होलिका कौन थी? holika kaun thi

पौराणिक कथाओं के अनुसार होली का एक नारी है द्वापर युग में होली का एक भक्त पहलाद की बुआ एवं महाबली राक्षस राज हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप की बहन थी।

होलिका कीस जाति की थी।

होली का हरियाणवी और हरिजन कच्छप नामक योद्धा की बहन और प्रहलाद की बुआ थी उसका जन्म जनपद कासगंज के सिरों शुक्र क्षेत्र नामक पवित्र स्थान पर हुई थी।

होली त्यौहार का इतिहास

होली त्यौहार का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता है। प्राचीनकाल विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईस्वी से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है।

होली holi क्यों मनाई जाती है?

होली त्योहार अहंकार और बुराई पर सत्य अहिंसा की जीत का पर्व है, धार्मिक मान्यताओं और हिंदू परम्परा अनुसार अगर पौराणिक कथाओं की मानें तो द्वापर युग में राक्षस राज हिरण्यकश्यप घोर नास्तिक वाली राजा थे वे अपने राज्य में अपना हुकुमत चलाते थे, उनके प्रजा ईश्वर का गुणगान नहीं कर सकते थे यदि कोई भगवान का नाम उच्चारण करता तो उसे मृत्यु दण्ड दिया जाता था प्रजा की तो बात दूर है हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को भी नहीं छोड़ा क्योंकि भक्त प्रहलाद भगवान हरि का परम भक्त था।

भक्त प्रहलाद को कई तरह की यातनाएं उनके पिता के द्वारा दी जाती है ताकि वे भगवान का नाम का गुणगान करना छोड़ दें परंतु भक्त प्रह्लाद ने हरि का गुणगान करना नहीं छोड़ा हिरण्यकश्यप को यह बात रास नहीं आई और अंततः उन्होंने उन्हें मृत्युदंड देने का निश्चय किया।

हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप की बहन जिसकी नाम होलिका थी उनको ब्रह्मा द्वारा वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती थी होलिका द्वारा तपस्या कर ब्रह्मा से यह वर मांगी थी कि वह आपसे ना जल सके।

हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को याद की और कहां की अपने गोद में पहलाद को बिठाकर चिता में आग जलाया जाए जिससे होली का बच जाए और पहलाद जलकर भस्म हो जाए परंतु ऐसा नहीं हुआ पौराणिक कथाओं में यह वर्णन है कि हरि का गुणगान करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार की क्षति नहीं होती थी और चीता में होलीका द्वारा भक्त पहलाद को गोद में बिठाकर चिता जलाया गया परंतु उस वक्त ब्रह्मा की वरदान भी फेल हो गई और हरि भक्त पहलाद को कुछ नहीं हुआ तथा होली का चीता में जलकर भस्म हो गई।

तभी से लोग भक्त पहलाद की सत्य निष्ठा हरि भक्तों की आस्था और विश्वास में होलिका दहन Holika Dahan का कार्य आज भी किया जाता है। जिसे छोटी होली choti holi भी कहते हैं।

होली त्यौहार कैसे मनाए? Holi tyohar kaise manaye

लोग होलिका दहन Holika Dahan का कार्य तो करते हैं जिसका आज भी प्रमाण यह है कि गांव गांव में होलिका दहन कार्यक्रम पश्चात आगे के अंगारे पर गांव के ग्रामीण चलते हैं बावजूद उन्हें आग की प्रभाव नहीं होती यह सत्य प्रमाण आज भी मौजूद है।

वर्तमान में होली मनाने का तौर तरीका कुछ और ही है लोग होली त्यौहार holi tyohar को खुशी में रंग गुलाल एक दूसरे को लगाकर गले मिलते हैं कहते हैं इस दिन दुश्मन से दुश्मन भी गले मिलते हैं Holi tyohar होली त्यौहार का बेसब्री से इंतजार लोगों को रहता है और उनके मन में यह आस लगी रहती है कि 2022 mein holi kab hai होली कब है जिससे लोग होली का त्यौहार holi festival मना सकें।

होली त्यौहार holi festival में रंग गुलाल का उपयोग करना जायज बात है परंतु आज की आधुनिक परिवेश में केमिकल से भरा हुआ रंग गुलाल का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है इसलिए लोगों को रंग गुलाल का उपयोग ना कर प्राकृतिक रंगों से होली Holi खेलनी चाहिए।

भारत देश त्योहारों से भरा हुआ देश है और हर भारतीय नागरिक सभी पर्व को अच्छे से मनाते हैं होली का पर्व भी मानव जीवन में महत्वपूर्ण पर्व है, holi ke din लोग एक दूसरे को हैप्पी होली  Happy Holi कहकर शुभकामना देते हैं। देश के अनेक अनेक राज्यों में अपने अपने तरीके से होली का त्यौहार मनाते हैं जिससे लोग यह सोच रहे होते हैं कि छत्तीसगढ़ में होली कब holi kab hai है बिहार में होली कब है उड़ीसा में होली कब है मध्यप्रदेश में होली कब है उत्तर प्रदेश में 2022 mein holi kab hai इसी तरह की सभी राज्यों में होली त्यौहार की आस लगाए हुए रहते हैं। परंतु हम आपको बताना चाहते हैं कि पूरे भारत देश के सभी राज्यों में होली holi का त्यौहार एक ही दिन मनाया जाता है अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दिन होली त्यौहार holi festival नहीं मनाया जाता। 2022 mein holi पूरे भारत में एक ही दिन मनाया जाएगा।

होली त्योहार की कथा।

होली holi से संबंधित मुख्य कथा के अनुसार एक नगर में हिरणकश्यप नाम का दानव राजा रहता था वह सभी को अपनी पूजा कराने को कहता था लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का उपवास था हिरण कश्यप ने भक्त प्रहलाद को बुलाकर हरि का नाम जपने से मना किया। प्रभात ने अपने पिता से कहा परमात्मा ही प्रत्येक कष्ट से परमात्मा ही बचा सकता है हरि नाम का गुणगान ब्यर्थ नहीं जाती कोई भक्त साधना करके परआत्मा से शक्ति प्राप्त कर लेता है तो वह सामान्य व्यक्तियों में से उत्तम हो जाता है परंतु परमात्मा से उत्तम नहीं हो सकता। यह बात सुनकर अहंकारी हिरणकश्यप क्रोध से आग-बबूला हो गया और सिपाहियों से कहा कि इसको मेरी आंखों के सामने से दूर ले जाओ और जंगल में सांपों के बीच डाल दो वहां मर जाएगा सिपाहियों द्वारा ऐसा ही किया गया परंतु कुछ काम नहीं आया, क्योंकि सांपों ने प्रहलाद को नहीं काटा। प्रल्हाद की कथा के अतिरिक्त यह पर्व राक्षी ढूंढी राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पूर्ण जन्म से भी जुड़ा हुआ है कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर नाच गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण करते हैं तथा शिव की बरात का दृश्य बनाते हैं कुछ लोगों का यह भी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन उतना नामक राक्षसी का वध किया था इसी खुशी में गोपियों और गांव वालों ने रामलीला की और रंग गुलाल खेला गया था।

होली त्योहार Holi tyohar पर निबंध।

होली Holi एक ऐसा रंग बिरंगे रंगों का पर्व है जिसे सभी धर्मों के लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं स्नेह प्रेम के रंगों से सजा यह Holi पर्व हर जाति समुदाय के बंधन तोड़कर भाईचारे का संदेश देता है और इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर लोग गले मिलते हैं और एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं फागुन मास की पूर्णिमा को यह त्यौहार मनाया जाता है होली त्योहार के साथ अनेक कथाएं जुड़ी है होली त्यौहार मनाने के एक रात पहले होलिका दहन किए जाते हैं।

भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप भगवान को नहीं मानते थे वह भगवान विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त है उन्होंने प्रहलाद को विष्णु भक्ति करने से रोक रोक रहा था जब प्रहलाद नहीं मान रहे थे पर रोकने का बहुत प्रयास किया, प्रहलाद को मनाने के लिए हिरण्यकश्यप ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था होलिका अपने भाई के सहायता करने के लिए तैयार हो गई होलीका प्रहलाद को लेकर जलती हुई चिता में बैठी परंतु भगवान विष्णु की आशीर्वाद शक्ति से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई।

यह कथा यह संकेत देता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है, आज भी पूर्णिमा को होलीका दहन किया जाता हैं और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर रंग गुलाल तरह-तरह के रंग डालते हैं यह त्यौहार रंगों का त्योहार है इस दिन लोग प्रातः काल उठकर सुबह अपने दोस्तों अपने घरों गांव मोहल्लों में अपने मित्रों से मिलने घर जाते हैं और एक दूसरे के साथ जमकर होली खेलते हैं बच्चों के लिए तो यह त्यौहार विशेष महत्व रखा जाता है बच्चे पहले से ही बाजार से तरह-तरह के  रंग गुलाल एवं पिचकारिया खरीदकर लाते हैं।

होली त्योहार की पौराणिक कथाएं

रंगवाली होली को राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में भी मनाया जाता है। कथानक के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि वे स्वयं राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। यशोदा ने मज़ाक़ में उनसे कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा। इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तब से यह पर्व रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है।

यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव के श्राप के कारण धुण्डी नामक राक्षसी को पृथु के लोगों ने इस दिन भगा दिया था, जिसकी याद में होली मनाते हैं।

हमारा मकसद केवल होली त्यौहार holi tyohar की जानकारी प्रदान करना है किसी भी प्रकार की धार्मिक आस्थाओं का ठेस पहुंचाना नहीं।

होली holi son lyrics

होली है... हो... 

रंग बरसे…

भीगे चुनरवाली रंग बरसे होली है…

अरे कैने मारी पिचकारी तोरी भीगी अंगिया ओ रंग रसिया, 

रंग रसिया हो होए… 

रंग बरसे… अरे रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे हो रंग बरसे

भीगे चुनरवाली रंग बरसे हो रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे

हो रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे

हाँ रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे सोने की थारी में जोना परोसा सोने की थारी में जोना परोसा

अरे सोने की थाली में हाँ सोने की थारी में जोना परोसा अरे खाए गोरी का यार बलम तरसे रंग बरसे..

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छेरछेरा कब है...

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