छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय इस तरह मनाते हैं अक्षय तृतीया|chhattisgarh akshay tritiya 2020|akshaya tritiya 2020 date and time

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अक्षय तृतीया। अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया (akshay tritiya) पर्व का बड़ा महत्व है, क्योंकि इस दिन को हर दृष्टि से शुभ माना जाता है।

इस वर्ष अक्षय तृतीया 26 अप्रैल 2020 दिन रविवार को है।
अक्षय तृतीया (akshay tritiya) को न केवल हिन्दू समाज के लोग बल्कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय के लोग भी मानते हैं। लोग अक्षय तृतीया पर्व को अलग-अलग ढंग से मनाते हैं, आदिवासी लोग अक्सर इस दिन अपने पितृदेव की जल तर्पण कर पूजा करते हैं।

छत्तीसगढ़ में अधिकतर किसान एवं कृषि मजदूर वर्ग के लोग अक्षय तृतीया (akshay tritiya) को अति शुभ दिन मानते हैं और इसी कारण लोग इस दिन अपने खेतों में हल चलाकर बीज बोने का शुभारंभ करते हैं।

अज्ञय तृतीया का पर्व अनेकों दृष्टि से शुभ एवं अनोखा है,इस दिन शादी-विवाह का कार्य भी अति शुभ माना जाता है और लोग अधिकतर अक्षय तृतीया को विवाह सम्पन्न करते हैं।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय के लोग कच्चे आम के फल,चार फल, गुड़ , चना ,दुध , दही इत्यादि को खरल में पीसकर चटनी बनाते हैं , तथा इसे पलास के पत्तों में रखकर अपने पितृदेव को भोग लगाकर जल तर्पण करते हैं।

आदिवासी लोग पूजा से पुर्व व्रत रहकर पलास के टहनी और जामुन की टहनी तथा एक विशेष किस्म की घास ( खस ) आदि को अपने पितृदेव स्वरुप मानकर मिट्टी के नये बर्तन से जल तर्पण कर नारियल अक्षत धूप दीप आदि से पूजन करते हैं।

आदिवासी समुदाय के लोग अक्षय तृतीया पर्व के पूर्व आम के फल,चार फल, का सेवन पलास के पत्तों में नहीं करते। अपने पितृदेव को तर्पण करने पश्चात ही ग्रहण करते हैं।

छत्तीसगढ़ में लोग इसे अक्ति त्यौहार (akti tyohar) भी कहते हैं।
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