बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज।सिर्फ तीन खुराक में पाइल्स की बीमारी से छुटकारा।bawasir ka ramban ilaj-piles ka ramban ilaj-piles ka operation-piles cure in 3 days

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रामबाण नुस्खा। बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

यदि आपको भी बवासीर की बीमारी है या आपके परिवार में कोई मेंबर बवासीर की बीमारी से पीड़ित है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है हम लेकर आए हैं एक रामबाण नुक्से, जिसे फॉलो कर सिर्फ तीन खुराक में बवासीर से सदैव के लिए छुटकारा पा सकते हैं।

piles symptoms बवासीर के लक्षण

बवासीर के शुरुआती दौर पे लक्षण बहुत ही आसानी से पता लगाया जा सकता है, वैसे नार्मली किसी व्यक्ति को बवासीर (piles) लक्षण का पता लगाना थोड़ा कठिन हो जाता है जब बवासीर piles शुरू हो रहा हो।
शुरुआती दौर में गुदाद्वार में हल्की-हल्की खुजली  होने लगती है लेकिन कई लोग इसे हल्के में लेकर नजर अंदाज करते हैं, वही खुजली आगे चलकर बवासीर का रुप धारण कर लेती है।
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खुजली के साथ गुदाद्वार से खुन (blood) या मवाद आ सकता है। कई केसेस में सिर्फ खुजली एवं सुजन के साथ हल्का दर्द होती है। बवासीर बढ़ जाने पर अत्यधिक मात्रा में गुदाद्वार से खुन आने के साथ-साथ असहाय दर्द होती है। हमेशा दर्द बने रहने के कारण बेचैनी रहती है जी मिल जाने लगता है तथा भोजन करने का मन नहीं लगता।

बवासीर के प्रकार type of piles

बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं पहला खूनी बवासीर तथा दूसरा  बादी बवासीर।
1. खुनी बवासीर Bloody Piles
खूनी बवासीर अक्सर उन लोगों में ज्यादा पाया जाता है जिनका शरीर ज्यादातर गर्म प्रकृति की होती है शरीर में हमेशा हल्का गर्मी सा बना रहता है खूनी बवासीर में गुदाद्वार के माध्यम से अत्यधिक मात्रा में खून बहता है तथा शौच के समय असहाय पीड़ा भी होती है। कई बार गुदाद्वार के बाहर मल्सा उभरकर आ जाती है।
2. बादी बवासीर
बादी बवासीर खूनी बवासीर से थोड़ा कम तकलीफ हो सकती है परंतु यह भी खतरे से कम नहीं है इसमें खून बहने के बजाय मवाद निकलता है बादी बवासीर में भी मरीज को अत्यधिक पीड़ा होती है। कई कैसेस में गुदाद्वार के अंदर ही मल्से बन जाते हैं जिससे मल त्यागने में बहुत कठिनाई होती है।
बवासीर के कारण
बवासीर की बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या बहुतायत मात्रा में देखी गई है बवासीर होने का प्रमुख कारण पेट की गड़बड़ी या पाचन तंत्र में गड़बड़ी होने की वजह से धीरे धीरे बवासीर में तब्दील होने लगती है। किसी मनुष्य की स्वास्थ्य पर पाचन तंत्र की बहुत बड़ी भूमिका होती है यदि मनुष्य की पाचन तंत्र ठीक से काम कर रही है तो व्यक्ति को बाहरी किसी भी प्रकार की बीमारी होने की आशंका कम हो जाती है परंतु पाचन तंत्र ही कमजोर हो तो व्यक्ति को अनेकों प्रकार की बीमारी से ग्रसित होने का खतरा बढ़ जाती है।
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 ज्यादातर मांस मदिरा का सेवन करने से पाचन तंत्र खराब होती है तथा व्यक्ति की लीवर पर भी बुरा प्रभाव डालता है जिसके वजह से बवासीर होने की चांसेस बढ़ जाती है। बवासीर के कीटाणु गुदाद्वार के आसपास मसल को नुकसान पहुंचाने पहुंचाते हैं जिससे मल्से आदि बनते हैं। बवासीर का इलाज एलोपैथी में केवल सर्जरी  (piles ka operation) से ही संभव हो पाती है, सर्जन बवासीर के किटाणु से ग्रसित हिस्सा को काटकर बाहर निकाल देती है जिससे मरीज को कुछ वक्त के लिए राहत मिल जाती है। (piles ka operation) स्थाई समाधान नहीं है, operation के कुछ समय पश्चात फिर से दोबारा बवासीर होने लगती है।
बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज
तो चलिए बिना देरी किए हम आपको बताते हैं कि सिर्फ तीन खुराक  (piles cure in 3 days) में ही आप बवासीर से सदैव के लिए मुक्ति पा सकते हैं, nariyal ki jata se bawaseer का इलाज संभव है जिससे आप कम खर्च में piles ka ilaj कर सकते हैं और piles ka operation (सर्जरी) के खर्च से बच सकते हैं।
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सामग्री- 1.नारीयल की गीरी 2. ताजा दही
सर्वप्रथम नारियल की जटा जिसे नारियल की बुच भी कहा जाता है उसे आग में जलाकर राख तैयार कर लें (nariyal ki jata bhasm) तत्पश्चात उसे किसी स्वच्छ पात्र में एक चम्मच रखें। तथा गाय की ताजा दही जो खट्टा ना हो उसे आप एक चम्मच लें। नया मिट्टी के बर्तन में शाम को ताजा गाय की दूध डालकर रखें सुबह वह बिना खट्टे वाली दही तैयार हो जाएगी।
सुबह खाली पेट मरीज को एक चम्मच नारियल की जटा की राख एवं एक चम्मच ताजा दही को अच्छी से मिलाकर सेवन करना चाहिए। इस तरह मरीज को रोज 3 दिन (piles cure in 3 days) तक सुबह खाली पेट सेवन करने से बवासीर समूल नष्ट हो जाती है चाहे वह किसी भी प्रकार का बवासीर (piles) क्यों न हो।
परहेज
रोगी को मदिरा आदि की सेवन से हमेशा दूर रहना चाहिए तथा गरिष्ठ भोजन जैसे मांस अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए साथ ही साथ इमली जैसे अनेकों खट्टे पदार्थ से परहेज करना चाहिए।
पाथ्य
रोगी को हमेशा सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए जैसे आटे की से की हुई सूखी रोटी राहल एवं मसूर की दाल मूंग की दाल भी आप सेवन कर सकते हैं। सुपाच्य भोजन करने से रोगी की पाचन क्रिया ठीक ढंग से होगी तथा लीवर भी अच्छे से काम करने लगेंगे पाचन तंत्र सही होने से औषधि का असर रोगी पर सही तरीके से हो पाएगी।
                          DISCLAIMER
यह रामबाण प्रयोग आयुर्वेद शास्त्र आदि में वर्णित किया गया है जिसके आधार पर जन मानस में बवासीर से मुक्ति हेतु यह आर्टिकल लिखी गई है इस नुक्से का प्रयोग किसी आयुर्वेद के ज्ञाता एवं आयुर्वेद संस्थान की देखरेख में करनी चाहिए जिससे व्यक्ति को किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो वैसे आयुर्वेद में व्यक्ति को साइड इफेक्ट की समस्या नहीं होती फिर भी यह प्रयोग किसी वैद्य के निर्देशानुसार किया जाना उचित होगा। किसी भी प्रकार की शारीरिक नुकसान के लिए यह पोर्टल doinfo.in जिम्मेदार नहीं है।
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