सिर्फ 3 दिन में व्रत रखकर सम्पूर्ण पूजा का फल प्राप्त करें।durga puja kab hai,navratri puja vidhi in hindi, maa durga ki katha
यदि आप किसी कारण वस maa durga की पूरे 9 दिन उपवास (व्रत) नहीं रख पाते हैं तो, सिर्फ 3 दिन में व्रत रखकर सम्पूर्ण पूजा का फल प्राप्त कर सकते हैं,कई भक्तों के मन में यह संसय रहता है कि पुरे 9 दिन तक व्रत रख पाऊंगा या नहीं,तो चिंता करने की कोई बात नहीं।
मां दुर्गा की पूजा नवरात्र अश्विन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा (पहली तिथि) से प्रारंभ होती है, एवं पंचमी तिथि को maa durga की श्रिंगार चढ़ाकर पूजा की जाती है।
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maa gurga की हवन पूजन अष्टमी तिथि को की जाती है,इस दिन जजमान को अपने हाथों से हवन करना चाहिए, यानी durga mantra उच्चारण करते हुए अपने हाथों से आहुति देनी चाहिए। तथा maa durga की 108 आहुति देनी चाहिए, साथ ही साथ maa durga की बीज मंत्र का उच्चारण करते हुए आहुति देनी चाहिए।
navratri puja samagri,आहुति हेतु सामग्री:-
durga puran (दुर्गा पुराण) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सप्तमी, अष्टमी, व नवमी को सिर्फ 3 दिन भी व्रत रखता तो वह सम्पूर्ण 9 दिन की पूजा का फल प्राप्त कर लेता है।
maa durga की पूजा (कलश स्थापना) किसी योग्य विद्वान (ब्राह्मण) के द्वारा किया जाना चाहिए।
mararani ka bhog (प्रसाद)
maa durga को प्रसन्न करने के लिए खीर का प्रसाद (भोग) अवश्य देना चाहिए,केला आदि का भी भोग लगा सकते हैं।
व्रत (उपवास) के दौरान सादगी से रहना चाहिए, तथा 9 दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
यदि ज्योत स्थापना कर रहे हैैं तो मिट्टी के बर्तन (कलशा) में गाय की घी या शुद्ध तेल से ज्योत जलाना चाहिए, प्रतिदिन सुबह-साम maa durga की फूल, चावल, दुर्वा, अगरबत्ती, धुप आदि से पूजा अर्चना करनी चाहिए।
नवरात्र कलश स्थापना के दौरान सर्व प्रथम गौरी गणेश की पूजा एवं ग्राम की देवी देवताओं की पूजा अति आवश्यक है, साथ ही साथ बाबा भैरवनाथ, चौंसठ योगिनी,नौ ग्रहों की भी पूजा की जानी चाहिए, तदपश्चात आरती करनी चाहिए, इस प्रकार maa durga की पूजा करने पर matarani अपने भक्तों की संपूर्ण मनोकामना को पूरी करतीं हैं।
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नवरात्रि 29 सितंबर, दिन रविवार से शुरू हो रही है, आश्विन प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि 9 दिन तक नवरात्रि है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। प्रतिपदा तिथि यानी 29 सितंबर को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। इसी दिन कलश स्थापना के साथ देवी शैलपुत्री की पूजा भी होगी। फिर इसके बाद क्रमशः ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कत्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा होगी। 06 अक्टूबर को महाअष्टमी है इस दिन maa durga की हवन आहुति की जाती है,और 07 अक्टूबर को महानवमी पड़ेगी। इसके बाद 08 अक्टूबर को विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन किया जायेगा, नवमी तिथि को भी विसर्जन किया जाता है।
शुभ मुहूर्त durga puja shubh muhurat
हिंदू पंचांग के अनुसार सुबह के समय कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर को 1 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। फिर शाम को कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
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मां दुर्गा की पूजा नवरात्र अश्विन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा (पहली तिथि) से प्रारंभ होती है, एवं पंचमी तिथि को maa durga की श्रिंगार चढ़ाकर पूजा की जाती है।
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maa gurga की हवन पूजन अष्टमी तिथि को की जाती है,इस दिन जजमान को अपने हाथों से हवन करना चाहिए, यानी durga mantra उच्चारण करते हुए अपने हाथों से आहुति देनी चाहिए। तथा maa durga की 108 आहुति देनी चाहिए, साथ ही साथ maa durga की बीज मंत्र का उच्चारण करते हुए आहुति देनी चाहिए।
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- 1. लकड़ी (समीधा) - खैर, गुड़हल, शमी, अपामार्ग (चिपचिपा), आक (फुड़हर), प्लास (फरसा), दुर्वा (दुबी), कुश, पीपल।
- 2. कीलश (सांकला) - चावल, उड़द, तील, सरसों, जौं,बाजरा,कोदो-कुटकी, मड़िया, गेहूं।
- 3. दुध, दही, घी, मधुरस, बेल पत्र, सिंदुर,गुलाल,बंदन, बंगला पान, कच्ची सुपारी, लौंग-इलायची, सुखा नरीयल गोला,नेवैद्ध (प्रसाद), कलावा।
durga puran (दुर्गा पुराण) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सप्तमी, अष्टमी, व नवमी को सिर्फ 3 दिन भी व्रत रखता तो वह सम्पूर्ण 9 दिन की पूजा का फल प्राप्त कर लेता है।
maa durga की पूजा (कलश स्थापना) किसी योग्य विद्वान (ब्राह्मण) के द्वारा किया जाना चाहिए।
mararani ka bhog (प्रसाद)
maa durga को प्रसन्न करने के लिए खीर का प्रसाद (भोग) अवश्य देना चाहिए,केला आदि का भी भोग लगा सकते हैं।
व्रत (उपवास) के दौरान सादगी से रहना चाहिए, तथा 9 दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
यदि ज्योत स्थापना कर रहे हैैं तो मिट्टी के बर्तन (कलशा) में गाय की घी या शुद्ध तेल से ज्योत जलाना चाहिए, प्रतिदिन सुबह-साम maa durga की फूल, चावल, दुर्वा, अगरबत्ती, धुप आदि से पूजा अर्चना करनी चाहिए।
नवरात्र कलश स्थापना के दौरान सर्व प्रथम गौरी गणेश की पूजा एवं ग्राम की देवी देवताओं की पूजा अति आवश्यक है, साथ ही साथ बाबा भैरवनाथ, चौंसठ योगिनी,नौ ग्रहों की भी पूजा की जानी चाहिए, तदपश्चात आरती करनी चाहिए, इस प्रकार maa durga की पूजा करने पर matarani अपने भक्तों की संपूर्ण मनोकामना को पूरी करतीं हैं।
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नवरात्रि 29 सितंबर, दिन रविवार से शुरू हो रही है, आश्विन प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि 9 दिन तक नवरात्रि है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। प्रतिपदा तिथि यानी 29 सितंबर को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। इसी दिन कलश स्थापना के साथ देवी शैलपुत्री की पूजा भी होगी। फिर इसके बाद क्रमशः ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कत्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा होगी। 06 अक्टूबर को महाअष्टमी है इस दिन maa durga की हवन आहुति की जाती है,और 07 अक्टूबर को महानवमी पड़ेगी। इसके बाद 08 अक्टूबर को विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन किया जायेगा, नवमी तिथि को भी विसर्जन किया जाता है।
शुभ मुहूर्त durga puja shubh muhurat
हिंदू पंचांग के अनुसार सुबह के समय कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर को 1 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। फिर शाम को कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
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